खरना: छठ महापर्व का दूसरा दिन, जाने क्या करें, क्या न करें इस दिन

खरना: छठ महापर्व का दूसरा दिन, जाने क्या करें, क्या न करें इस दिन

28 अक्टूबर से छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है. पहला दिन नहाय खाय का होता है. छठ के व्रत को सबसे कठिन माने जाने वाले व्रतों में से एक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती हैं, छठी माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. आपको बता दें कि छठ पूजा में सूर्य देव का अराधना किया जाता है. छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है. दूसरा दिन खरना कहलाता है. खरना का मतलब है शुद्धिकरण. यानि खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है. 

खरना का महत्व

खरना के दिन छठ करने वाली महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं. इसी दिन छठी माता का प्रसाद तैयार किया जाता है. इस दिन गुड़ की खीर बनती है. सबसे खास बात यह है कि वह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है. प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं, उसके बाद इसे भक्तों में बांटा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इसके अगले दिन सूर्यास्त के समय व्रती लोग नदी और घाटों पर पहुंच जाते हैं. जहां डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान सूर्यदेव को जल और दूध से अर्घ्य देते है. साथ ही इस दिन व्रती महिलाएं छठी मैया के गीत भी गाती हैं.

खरना के दिन क्या करें क्या न करें

क्या न करें

1. अक्सर बच्चे बिना हाथ धोएं गंदे हाथों से खरना का सामान छू लेते हैं. तो भूलकर भी उस सामान का  दोबारा प्रयोग न करें.

2. पूजा में बनने वाला प्रसाद पहले नहीं देना चाहिए.

3. छठ पर्व के दौरान पूरे चार दिन प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए.

4. खरना वाले दिन साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, किसी भी चीज को हाथ धोए बिना ना छुएं. 

5. छठ के दौरान महिलाओं को चार दिन तक पलंग पर नहीं सोना चाहिए, उन्हें जमीन पर कपड़ा बिछाकर सोना चाहिए. 

क्या करें

1. खरना पूजा का प्रसाद हमेशा ऐसे स्थान पर बनाना चाहिए, जहां रोजमर्रा का खाना न बनता हो. 

2. खरना का प्रसाद बनने के बाद इसे सबसे पहले व्रती ग्रहण करें.

3. व्रती को शांत जगह पर बैठकर खरना का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.

4. सूर्य को अर्घ्य दिए बिना कुछ खाना पीना नहीं चाहिए. 

5. छठ पूजा के दौरान घर में झगड़ा न करें. खासतौर पर व्रती को किसी को भी अपशब्‍द नहीं बोलना चाहिए.