उमाकांत त्रिपाठी।(UPSC Lateral Entry Eligibility). संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा है. यह दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं की लिस्ट में भी शामिल है. आईएएस अफसर बनने के लिए इसे पास करना जरूरी है. लेकिन कई मामलों में लेटरल एंट्री के जरिए भी आईएएस अधिकारी बनने की बात सामने आई है. लेटरल एंट्री से आईएएस अफसर बनने के लिए यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा पास करना जरूरी नहीं है.
संघ लोक सेवा आयोग में लेटरल एंट्री एक खास भर्ती प्रक्रिया है. इसके जरिए सरकार सिविल सेवा परीक्षा की लंबी प्रक्रिया से गुजरे बिना, सीधे निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) और शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों को मीडियम और सीनियर प्रशासनिक पदों पर नियुक्त करती है. इस पहल का मुख्य उद्देश्य शासन में सुधार लाना और विभिन्न मंत्रालयों में डोमेन-विशिष्ट विशेषज्ञता और नए दृष्टिकोण को शामिल करना है. यह योजना नीति आयोग की सिफारिश पर शुरू की गई थी.
लेटरल एंट्री से किन पदों पर भर्ती होती है?
लेटरल एंट्री के जरिए सिविल सेवा में उच्च पदों पर अनुभवी प्रोफेशनल्स की भर्ती की जाती है. ये भर्तियां ऐसे विभागों में की जाती हैं, जहां अक्सर मौजूदा सिविल सेवकों की कमी या विशिष्ट ज्ञान की जरूरत होती है. यूपीएससी लेटरल एंट्री के तहत आमतौर पर संयुक्त सचिव (Joint Secretary), निदेशक (Director) और उप सचिव (Deputy Secretary) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति की जाती हैं. ये विशेषज्ञ अपने संबंधित क्षेत्रों, जैसे- वित्त, कृषि, स्वास्थ्य, ऊर्जा या डिजिटल अर्थव्यवस्था में वर्षों का प्रमाणित ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं.
लेटरल एंट्री से अफसर की नियुक्ति कितने सालों की होती है?
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यूपीएससी लेटरल एंट्री की नियुक्तियों की अवधि आमतौर पर 3 से 5 वर्ष के लिए होती है. ये भर्तियां संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होती हैं. इससे सरकार को अल्पकालिक विशेषज्ञता का लाभ मिलता है और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है. यह सिस्टम देश की नौकरशाही में नई ऊर्जा और कार्य संस्कृति लाने का शानदार जरिया है. यहां यह समझना जरूरी है कि लेटरल एंट्री प्रक्रिया सीधे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के कैडर में प्रवेश नहीं दिलाती है. यह केवल सिविल सेवा परीक्षा (CSE) के जरिए ही संभव है.
फिर लेटरल एंट्री से आईएएस कैसे बनते हैं?
लेटरल एंट्री के तहत चयनित अधिकारियों को जिन पदों (जैसे संयुक्त सचिव या निदेशक) पर नियुक्त किया जाता है, वे पद सेवाकाल के दौरान वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ही संभालते हैं इसलिए ये अधिकारी बिना CSE दिए, आईएएस-लेवल की शक्तियां, प्रोटोकॉल और वेतन भत्ते हासिल करते हैं और सीधे केंद्र सरकार के मंत्रालयों के टॉप निर्णय लेने वाले विभागों का हिस्सा बनते हैं. इसे एक तरह से ‘आईएएस-समकक्ष’ अधिकारी बनना कहा जा सकता है, न कि औपचारिक रूप से ‘आईएएस अधिकारी’ बनना.
लेटरल एंट्री के जरिए चयन कैसे होता है?
यूपीएससी लेटरल एंट्री की प्रक्रिया पारंपरिक भर्ती से पूरी तरह अलग है. इसमें उम्मीदवारों का चयन मुख्य रूप से उनके अनुभव, प्रोफेशनल उपलब्धियों और केवल इंटरव्यू के आधार पर किया जाता है. इसमें लिखित परीक्षा नहीं होती है. उसके बिना सीधे उच्च पदों पर नियुक्ति के कारण इस प्रक्रिया को योग्यता और विशेषज्ञता पर फोकस्ड माना जाता है. हालांकि सोशल जस्टिस के दृष्टिकोण से इस पर समय-समय पर विरोध और बहसें भी होती रही हैं, खासकर आरक्षण नीतियों को लेकर.
लेटरल एंट्री से किन पदों पर भर्ती होगी?
लेटरल एंट्री के तहत केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में नीचे लिखे उच्च प्रशासनिक पदों पर एक्सपर्ट्स की सीधी भर्ती की जाती है:
संयुक्त सचिव (Joint Secretary): ये पद भारत सरकार के सबसे वरिष्ठ पदों में शामिल हैं. इन्हें संभालने के लिए आमतौर पर आईएएस अधिकारियों को लगभग 17-20 साल की सेवा की जरूरत होती है.
निदेशक (Director): ये मिड-सीनियर लेवल के पद होते हैं, जो सीधे संयुक्त सचिव को रिपोर्ट करते हैं और किसी विशिष्ट नीति क्षेत्र के कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होते हैं.
उप सचिव (Deputy Secretary): ये पद मुख्य रूप से प्रशासनिक और नीति-निर्माण कार्यों के समन्वय में सहायक होते हैं.
ये सभी नियुक्तियां संबंधित क्षेत्र की विशेषज्ञता के आधार पर 3 से 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर की जाती हैं.
लेटरल एंट्री के लिए योग्यता और अनुभव के आवश्यक मानदंड
लेटरल एंट्री के लिए पात्रता मानदंड बहुत कठिन होते हैं. ये उम्मीदवार के कार्य अनुभव और प्रोफेशनल ट्रैक रिकॉर्ड पर फोकस करते हैं: