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राष्ट्रपति भवन के दो हॉल का बदला नाम: गणतंत्र मंडप और अशोक मंडप कहलाएंगे दरबार हॉल-अशोक हॉल

उमाकांत त्रिपाठी।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन के दो हॉल का नाम बदलने का ऐलान किया है। अब से दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप और अशोक हॉल को अशोक मंडप के नाम से जाना जाएगा। इसे लेकर राष्ट्रपति सचिवालय की तरफ से प्रेस रिलीज जारी की गई है।
रिलीज के मुताबिक, राष्ट्रपति भवन के परिवेश में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और प्रकृति झलक दिखाई दे, इसलिए दोनों हॉल के नाम बदले गए हैं। रिलीज में कहा गया है कि राष्ट्रपति भवन, जो कि भारतीय राष्ट्रपति का कार्यालय और आवास है, वह देश का प्रतीक है और लोगों की अमूल्य धरोहर है। ऐसे में लगातार कोशिशें की जा रही हैं कि राष्ट्रपति भवन में भारतीय संस्कृति की झलक दिखें।इसे लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि इस देश में दरबार का कॉन्सेप्ट नहीं है, लेकिन शहंशाह का कॉन्सेप्ट है।

जानें दरबार हॉल और अशोक हॉल की खासियत
रिलीज के मुताबिक, दरबार हॉल में नेशनल अवॉर्ड दिए जाने जैसे अहम समारोह और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। भारतीय शासकों और ब्रिटिशर्स की तरफ से लगाए जाने वाले दरबार और सभाओं के नाम पर इस हॉल को ‘दरबार’ नाम दिया गया था। लेकिन 1950 में देश के गणतंत्र बनने के बाद इस नाम का औचित्य नहीं रह गया। इसलिए इस हॉल के लिए ‘गणतंत्र भवन’ सटीक नाम है।

बॉलरूम हुआ करता था अशोक हॉल
अशोक हॉल सबसे पहले एक बॉलरूम था, जहां ब्रिटिशर्स बॉल डांस आयोजित करते थे। ‘अशोक’ शब्द का अर्थ है ‘वह जो सभी शोकों से मुक्त हो’ या ‘जिसे कोई शोक या दुख न हो’। यह सम्राट अशोक के नाम की भी याद दिलाता है जो एकता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का प्रतीक हैं।
भारतीय गणराज्य का राष्ट्रीय प्रतीक भी सारनाथ का अशोक स्तंभ है। साथ ही यह शब्द अशोक वृक्ष से भी जुड़ा हुआ है, जिसका भारतीय धार्मिक परंपराओं के साथ कला और संस्कृति में भी गहरा महत्व है। ‘अशोक हॉल’ का नाम बदलकर ‘अशोक मंडप’ करने के पीछे उद्देश्य है भाषा में समानता लाना, अंग्रेजीकरण के निशानों को हटाना और ‘अशोक’ शब्द से जुड़े मूल्यों को बनाए रखना।

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