आज चंद्र ग्रहण लग रहा है। इस दौरान कई बातों का ध्यान हमें रखना चाहिए। जिससे का ग्रहण का प्रभाव हमारे उपर न पड़े। ग्रहण के समय कुछ ऐसी बातें होती है जिसका हमें खास ख्याल रखना पड़ता है। जिससे कि ग्रहण के समय हमें किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़ें।
आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि पूजा पाठ करने के बाद सभी मंदिरों के पट सुबह 8 बजे से ही बंद कर दिए गए हैं। शाम को ग्रहण खत्म होने के बाद शाम साढ़े छह बजे के बाद ही मंदिरों में धुलाई और देवी-देवताओं का जलाभिषेक करने के बाद दुबारा पूजा–अर्चना शुरू होगी।
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही सुर्यग्रहण लगा था। जिससे यह एक पखवाड़े में यह दूसरा ग्रहण है। कुछ दिन पहले ही दीपावली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण पड़ा था। जो मंगलवार के दिन पड़ा था। संयोग देखिए कि सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण भी मंगलवार के दिन ही पड़ा है।
मध्य प्रदेश के इंदौर और उज्जैन में ग्रहण शाम 05.43 बजे लगकर शाम को 6.19 बजे तक रहेगा। इससे ग्रहण काल की अवधि 36 मिनट रहेगी। मध्य प्रदेश में यह ग्रहण आंशिक रहेगा। भारत के पूर्वांचल में पूर्ण ग्रहण दिखाई देगा। इसके अलावे भारत में स्थिति के अनुसार आंशिक चंद्रग्रहण दिखाई देगा। भारतीय मान्यताओं में ग्रहण के दौरान और ग्रहण के मोक्ष के बाद क्या करना चाहिए और क्या नहीं इस पर कई नियम हैं।
बता दें कि ग्रहण से पहले बना हुआ अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। ठीक इसी तरह ग्रहणकाल के दौरान भरा गया पानी भी नहीं पीना चाहिए।
ग्रहण से पहले बनाया गया मठ्ठा, घी या तेल से पकाया हुआ अन्न और दुध, ग्रहण के बाद भी खाए जा सकते हैं। हालांकि अन्य वस्तुओं के उपयोग को लेकर भी कुछ नियम हैं। नहीं फेंकी जाने वाली वस्तुओं में ग्रहण काल से पहले कुश या तुलसी पत्र डाल दें।
ग्रहणकाल के दौरान गर्भवती स्त्री को कुछ नहीं करना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान सभी को भगवान का स्मरण करना चाहिए। इस दौरान अपने गुरुमंत्र या ईष्टदेव का स्मरण करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण काल के दौरान मंत्र सिद्ध हो जाते हैं। यदि आप अपने कार्यस्थल पर हैं तो वहां भी अपने ईष्टदेव का स्मरण करें।
ग्रहण काल के दौरान भोजन और जल का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दौरान मल-मूत्र का त्याग भी वर्जित है। ग्रहण काल के समय सोना भी वर्जित है। ग्रहण काल खत्म होने के बाद घर को पानी से धो लें या गोमूत्र छींट लें। ग्रहण प्रारंभ होने से पहले और ग्रहण के मोक्ष काल के बाद स्नान करने की परंपरा रही है। ग्रहण के मोक्ष काल के बाद दान करने की भी महत्ता बताई गई है।