मेरी मां ने पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन उन्होंने मुझे सामाजिक समरसता सिखाई, एमपी बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा का बयान, प्रायवेट टीचर्स को जॉइन कराई BJP

मेरी मां ने पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन उन्होंने मुझे सामाजिक समरसता सिखाई, एमपी बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा का बयान, प्रायवेट टीचर्स को जॉइन कराई BJP

उमाकांत त्रिपाठी। प्रदेश भाजपा कार्यालय में निजी स्कूलों के शिक्षकों ने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भाजपा जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी और पार्षद रविन्द्र यति की मौजूदगी में प्रायवेट शिक्षकों और शिक्षाविदों को भाजपा की सदस्यता दिलाई।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा- आज शिक्षक दिवस के अवसर पर भाजपा के परिवार में शामिल होने वाले शिक्षकों को बधाई देता हूं। देश ही नहीं दुनिया में ऐसा माना गया है कि व्यक्ति के जीवन में दिशा देने का काम माता-पिता करते हैँ या फिर बच्चे को जीवन की दिशा देने में शिक्षक की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आप सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।

मेरी मां पढ़ी लिखी नहीं- वीडी
वीडी शर्मा ने आगे कहा- मेरी मां पढ़ी लिखी नहीं हैं। मैं गांव का आदमी हूं। जब मैं बहुत छोटा था मेरी मां सुबह-सुबह कहीं गईं और लौटीं तो मैंने पूछा कि आप कहां गई थीं। उन्होंने बताया कि गांव में सफाई कर्मी की बेटी की शादी थी तो उसके पैर पखारने गई थी। जब मैंने उस परिवार में जाने का कारण पूछा तो मेरी मां कहा -बेटा पैर पूजने का बड़ा पुण्य मिलता है। यानि उस समाज की बेटी के पैर पूजने से बड़ा पुण्य मिलता है ये सामाजिक समरसता की शिक्षा मुझे आज की किताबों से नहीं मिली। ये मेरी मां ने उस समय बता दिया था कि सामाजिक समरसता क्या है! वो बिना पढ़ी लिखी महिला हैं।

मेरे शिक्षक ने मुझे बोलना सिखाया
वीडी ने कहा- मैं चंबल का रहने वाला हूं वहां कई प्रकार की जातिगत चीजें चलाने का प्रयास करते थे। आज तो नहीं हैं। मेरी मां कहती थीं कि तुम्हें बताने की जरूरत नहीं हैं कि ये कौन है तुम तो जाओ, खाओ पियो और अपना काम करो। नहीं तो यहां दस तरह की पंचायत खड़ी होगी। आज परिदृश्य बदल गया। ये मेरे जीवन के दृश्य पटल पर इन चीजों को हमेशा उन चीजों के रुप में देखता रहा कि मां ने हमें क्या सिखाया है। 5वीं कक्षा में मेरे शिक्षक राजौरिया जी थे। उस समय उन्होंने मुझे जो दिशा दी और 15 अगस्त और 26 जनवरी के भाषण की तैयारी कराते थे। आज मैं अगर कुछ बोलने में सक्षम हूं तो उसमें हमारे शिक्षक राजौरिया जी का बड़ा योगदान है।