उमाकांत त्रिपाठी।करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जब हर पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है और शाम को चांद का दीदार करके अपने पति के स्वास्थ्य व खुशहाल जीवन की कामना करती है, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के राजगढ़ से एक कहानी सामने आई है जिसने इस त्योहार को एक नया मतलब दे दिया है.
दऱअसल ये कहानी है एमपी के राजगढ़ की प्रिया और उनके पति पुरुषोत्तम की. कोविड के बाद पुरुषोत्तम को लगातार सिरदर्द और कमजोरी रहने लगी थी. जांच में पता चला कि- उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. डॉक्टरों ने बताया कि अब किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. परिवार में हर कोई घबराया हुआ था, कोई भी किडनी देने के लिए तैयार नहीं था.
तभी प्रिया ने कहा,कि- अगर मेरी एक किडनी से मेरे पति की जान बच सकती है, तो यही मेरा सबसे बड़ा करवा चौथ होगा. ” और बिना किसी देरी के उन्होंने अपनी किडनी दान कर दी. डॉक्टरों ने जांच की तो पाया कि दोनों का ब्लड ग्रुप और टिश्यू मैच करता है. फिर हुआ सफल ऑपरेशन, जिससे पुरुषोत्तम की जान बच गई. आज वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
मेरी पत्नी मेरे लिए माता पार्वती
पत्नी के इस त्याग के बाद पुरुषोत्तम कहते हैं, “मेरी पत्नी मेरे लिए माता पार्वती जैसी हैं. उन्होंने मुझे मौत के मुंह से बचाया है. अब हर करवा चौथ मेरे लिए नया जीवन लेकर आता है.
यह कहानी हमें करवा चौथ की पुरानी कथा ‘वीरावती’ की याद दिलाती है. इस कहानी में वीरावती नाम की पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है, लेकिन छल से उसका व्रत टूट जाता है और पति की मृत्यु हो जाती है. जब वह देवी पार्वती के पास जाती है, तो देवी कहती हैं कि उसके सच्चे प्रेम और व्रत की शक्ति से उसका पति फिर से जीवित होगा.
दोनों जी रहे हैं स्वस्थ जीवन
अब प्रिया और पुरुषोत्तम दोनों स्वस्थ जीवन बिता रहे हैं. वे कहते हैं कि करवा चौथ उनके लिए सिर्फ चांद देखने का व्रत नहीं, बल्कि जीवन का जश्न है. हर साल जब प्रिया छलनी से चांद देखती हैं, तो पुरुषोत्तम भावुक होकर कहते हैं, “इस बार मैं तुम्हारा चांद हूं, क्योंकि मेरी जिंदगी तुम्हारे कारण है.
राजगढ़ की यह प्रेरणादायक कहानी यह बताती है कि- करवा चौथ केवल एक पारंपरिक त्योहार नहीं, बल्कि नारी शक्ति, समर्पण और सच्चे प्रेम का प्रतीक है, जो अपने पति के लिए मौत से भी लड़ सकती है. इस करवा चौथ जब चांद आसमान में चमकेगा, तो प्रिया के चेहरे की चमक उसी सच्चे प्यार की झलक होगी, जिसने अपने व्रत को वरदान में बदल दिया है.