उमाकांत त्रिपाठी।तालिबान ने पाकिस्तान की कई सीमा चौकियों पर एक साथ हमला किया. यह हमला पाकिस्तान के हवाई हमलों का जवाब था. तालिबान ने दावा किया कि- उन्होंने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. 25 पाकिस्तानी चौकियां कब्जे में ले लीं. वहीं, पाकिस्तान का कहना है कि- उन्होंने 200 से ज्यादा तालिबान लड़ाकों को मार गिराया.ये झड़पें कुणार, हेलमंद, खोस्त, पक्तिया और पक्तिका जैसे इलाकों में हुईं. लेकिन सवाल यह है – तालिबान की सेना इतनी बड़ी कैसे है कि वे एक साथ इतने हमले कर सकें? आइए जानते हैं ग्लोबल पावर इंडेक्स 2025 के अनुसार कितनी है तालिबान की ताकत?
तालिबान की सेना का इतिहास – छोटी शुरुआत, बड़ी ताकत
तालिबान 1990 के दशक में एक छोटा समूह था, जो धार्मिक छात्रों से बना था. 2021 में उन्होंने अफगानिस्तान पर फिर कब्जा कर लिया. तब से वे एक राष्ट्रीय सेना बनाने की कोशिश कर रहे हैं. पहले उनकी ताकत सिर्फ लड़ाकों की थी, लेकिन अब वे एक संगठित फौज की तरह काम करते हैं. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के मुताबिक, अफगानिस्तान (तालिबान के कंट्रोल में) की सैन्य ताकत दुनिया में 118वें स्थान पर है. यह इंडेक्स सेना के आकार, हथियारों, बजट और तकनीक को देखकर रैंकिंग देता है.
तालिबान सेना की पूरी ताकत – नंबरों में समझें
ग्लोबल फायरपावर 2025 के अनुसार, तालिबान ने फरवरी 2022 में एक नई राष्ट्रीय फौज बनाने का ऐलान किया था. इसका लक्ष्य 110,000 सैनिकों की फौज बनाना था.
सक्रिय सैनिक : 1.10 से 1.50 लाख. मुख्य लड़ाके, जो रोज ट्रेनिंग लेते हैं. ज्यादातर पश्तून समुदाय से.
रिजर्व फोर्सः लगभग 1.00 लाख. अतिरिक्त लड़ाके और सहयोगी, जो जरूरत पर बुलाए जाते हैं.
बजटः लगभग 14,000 करोड़ रुपये. ज्यादातर अफगानिस्तान के संसाधनों से.
हथियारः हल्के हथियार, तोपें, रॉकेट, अमेरिकी हथियारों का स्टॉक, लेकिन हवाई जहाज या नौसेना नहीं.
विशेषः गुरिल्ला युद्ध में माहिर. पहाड़ी इलाकों में छिपकर हमला करते हैं.
ये आंकड़े बताते हैं कि- तालिबान की सेना पाकिस्तान की (6-7 लाख सैनिक) से छोटी है, लेकिन वे चालाकी से लड़ते हैं. वे आधुनिक हथियारों की कमी होने पर भी स्थानीय इलाके की जानकारी का फायदा उठाते हैं.
इतने सारे हमले एक साथ कैसे? तालिबान की रणनीति
तालिबान की सेना बड़ी तो है, लेकिन उनकी असली ताकत ‘गुरिल्ला वॉरफेयर’ में है. मतलब, वे छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर छिपकर हमला करते हैं. अक्टूबर 2025 के हमलों में…
एक साथ कई जगह: तालिबान ने कुणार-बाजौर, हेलमंद और अन्य बॉर्डर पर 10-15 चौकियों पर रात में हमला किया. उनके 1,10,000 सक्रिय सैनिकों में से छोटे दस्ते (50-100 लोग) भेजे गए.
जवाबी कार्रवाई: पाकिस्तान ने 9 अक्टूबर को काबुल, खोस्त आदि पर हवाई हमले किए थे. तालिबान ने इसे ‘बदला’ बताया और सीमा पर तोपों से गोलीबारी की.
स्थानीय मदद: बॉर्डर के पास रहने वाले पश्तून समुदाय ने मदद की. तालिबान के पास रिजर्व फोर्स है, जो जल्दी इकट्ठा हो जाती है.
कमजोरी भी: उनके पास हवाई ताकत नहीं है, इसलिए वे ज्यादातर जमीन पर लड़ते हैं. लेकिन पहाड़ों में वे पाकिस्तानी सेना को मुश्किल में डाल देते हैं.